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*कृषि वैज्ञानिक डॉ.चन्द्रशेखर खरे जी द्वारा किसानों के लिए अहम जानकारी दी जा रही है*
जांजगीर/
छत्तीसगढ़ मे टिड्डी किट(लोकस्ट स्वॉर्म) प्रकोप आक्रमण से फसलों की सुरक्षा हेतु किसान भाईयो को सलाह:-
टिड्डी किट का परिचय :- कृषि वैज्ञानिक के अनुसार टिड्डी किट का वैज्ञानिक नाम स्चहिस्तोसेरका ग्रेगरिया (Schistocerca gregaria) टिड्डी ऐक्रिडाइइडी परिवार के ऑर्थाप्टेरा गण का कीट है। हेमिप्टेरा गण के सिकेडा वंश का कीट भी टिड्डी या फसल डिड्डी (Harvest Locust) कहलाता है। इसे लधुश्रृंगीय टिड्डा (Short Horned Grasshopper) भी कहते हैं। संपूर्ण संसार में इसकी केवल छह जातियाँ पाई जाती हैं। यह प्रवासी कीट है और इसकी उड़ान दो हजार मील तक पाई गई है। टि़ड्डियों को उनके चमकीले पीले रंग और पिछले लंबे पैरों से उन्हें पहचाना जा सकता है। टिड्डी जब अकेली होती है तो उतनी खतरनाक नहीं होती है। लेकिन, झुंड में रहने पर इनका रवैया बेहद आक्रामक हो जाता है। फ़सलों को एक बारगी सफ़ाया कर देती हैं। आपको दूर से ऐसा लगेगा, मानो आपकी फ़सलों के ऊपर किसी ने एक बड़ी-सी चादर बिछा दी हो। कुछ समय पहले अफ़्रीकी देशों में इन्होंने फ़सलों को काफी नुकसान पहुंचाया हैं।
जीवन चक्र:-मादा टिड्डी मिट्टी में कोष्ठ (cells) बनाकर, प्रत्येक कोष्ठ में 20 से लेकर 100 अंडे तक रखती है। अंडे जाड़े भर प्रसुप्त रहते हैं। गरम जलवायु में 10 से लेकर 20 दिन तक में अंडे फूट जाते हैं, शिशु टिड्डी के पंख नहीं होते तथा अन्य बातों में यह वयस्क टिड्डी के समान होती है। शिशु टिड्डी का भोजन वनस्पति है और ये पाँच छह सप्ताह में वयस्क हो जाती है। इस अवधि में चार से छह बार तक इसकी त्वचा बदलती है। वयस्क टिड्डियों में 10 से लेकर 30 दिनों तक में प्रौढ़ता आ जाती है और तब वे अंडे देती हैं।
टि़ड्डियां क्या खाती हैं:- टि़ड्डियां फूल, फल, पत्ते, बीज, पेड़ की छाल और अंकुर सबुकछ खा जाती हैं। हर एक टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है। इस तरह से एक टिड्डी दल, 2500 से 3000 लोगों का भोजन चट कर जाता है। टिड्डियों का जीवन काल अमूमन 40 से 85 दिनों का होता है।
किसान भाई टिड्डी दल से बचने के लिए कई उपाय अपना सकते हैं:-
फसल के अलावा, टिड्डी कीट जहां इकट्ठा हो, वहां उसे फ्लेमथ्रोअर से जला दें। टिड्डी दल को भगाने के लिए थालियां, ढोल, नगाड़़े, लाउटस्पीकर या दूसरी चीजों के माध्यम से शोरगुल मचाएं। जिससे वे आवाज़ सुनकर खेत से भाग जाएं, और अपने इरादों में कामयाब ना हो पाएं।
कीट की रोकथाम:-टिड्डों ने जिस स्थान पर अपने अंडे दिये हों, वहां 25 कि.ग्रा या 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस को मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें।टिड्डी दल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए 100 कि.ग्रा धान की भूसी को 0.5 कि.ग्रा फेनीट्रोथीयोन और 5 कि.ग्रा गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डाल दें। इसके जहर से वे मर जाते हैं। टिड्डी दल के खेत की फसल पर बैठने पर, उस पर 5 प्रतिशत मेलाथीयोन या 1.5 प्रतिशत क्विनाल्फोस का छिड़काव करें। 50 प्रतिशत ई.सी फेनीट्रोथीयोन या मेलाथियोन अथवा 20 प्रतिशत ई.सी. क्लोरपाइरिफोस 1 लीटर दवा को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें, टिड्डी दल सवेरे 10 बजे के बाद ही अपना डेरा बदलता है। इसलिए, इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए 5 प्रतिशत मेलाथियोन या 1.5 प्रतिशत क्विनालफॉस का छिड़काव करें। 500 ग्राम या 40 मिली नीम के तेल को 10 ग्राम कपड़े धोने के पाउडर के साथ, या फिर 20 -40 मिली नीम से तैयार कीटनाशक को 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से टिड्डे फसलों को नहीं खा पाते। फसल कट जाने के बाद खेत की गहरी जुताई करें। इससे इनके अंडे नष्ट हो जाते हैं।
सी.आई.पी.एम.सी.से प्राप्त सतर्कता निर्देशानुसार:-कृषक एवम् जनहित मे प्रसारित
चंद्रशेखर खरे, कृषि वैज्ञानिक(सस्यविज्ञान).8770414150
धर्मेन्द्र कुमार खरे-निदेशक,
संयुक्त जन जागरूकता अभियान
सुमनशेखर खरे,समाज सेविका.7410139918
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